Lucknow : उलझे रिश्ते और खूनी साजिश का शिकार हुई महिला सिपाही, तहसीलदार को दिल के बदले देनी पङी जान
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रुचि चौहान मर्डर केस
Lucknow : उलझे रिश्ते और खूनी साजिश का शिकार हुई महिला सिपाही, तहसीलदार को दिल के बदले देनी पङी जान
DGP मुख्यालय में नियुक्त महिला सिपाही रुचि चौहान हत्याकांड निकली एक सोची-समझी साजिश, Facebook पर तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव से कर बैठी प्रेम, हो गई बङी साजिश का शिकार ।
लखनऊ पुलिस ने DGP मुख्यालय में नियुक्त महिला सिपाही की हत्या के आरोपी प्रतापगढ के तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव ,उसकी धर्मपत्नी प्रगति श्रीवास्तव और तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव के एक अन्य दोस्त को गिरफ्तार कर महिला सिपाही रुचि चौहान हत्याकांड मामले का पर्दाफाश किया है हत्या की साजिश की भले ही महिला सिपाही रुचि चौहान शिकार हुई परंतु हत्या के शिकार शामिल आरोपी भी थे ।
लखनऊ पुलिस ने DGP मुख्यालय के अनुभाग 3 में संबद्ध महिला पुलिस कर्मचारी रुचि चौहान हत्या में आरोपी प्रतापगढ के तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव , उनकी धर्मपत्नी प्रगति श्रीवास्तव और तहसीलदार के दोस्त नामवर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है । महिला पुलिस कर्मचारी रुचि चौहान की हत्या के आरोपी तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव को गिरफ्तार करके गहनता से पूछताछ की गई ।
Facebookकी चैटिंग से हुई थी प्रेम की पहल
लखनऊ पुलिस नें अपनी जांच में पाया कि असंद्रा थाने में रुचि चौहान भले ही महिला सिपाही के पद पर तैनात थी परंतु उसके सपने आसमान को छूने से कम नही थे । पुलिस मे तैनाती के दौरान रुचि चौहान ने अपने साथी पुलिस सिपाही से ही शादी कर ली थी व बाराबंकी में डयूटी के दौरान तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव से मिली थी ।
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लखनऊ में होती थी मुलाकातें
रुचि चौहान का अपने पति के साथ अदालत में तलाक का केस चल रहा था जिसका इसी महीने में फैसला होने वाला था इस कारण रुचि चौहान तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव से शादी के लिए लगातार दबाव बना रही थी । अपने से करीब 15 साल छोटी व सुंदर लङकी के प्रेम ने तहसीलदार श्रीवास्तव को इलाहाबाद से अपना घर छोङकर लखनऊ में मुलाकात करने को मजबूर कर दिया था ।
जमीनी विवाद के कारण गहरी हुई थी दोस्ती
रुचि चौहान ने अपने करीबी दोस्त के जमीनी विवाद में तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव की मदद ली थी , इसके बाद दोनों की दोस्ती बहुत गहरी हो गई और प्यार की लगातार मुलाकातें होने लगी । रुचि के दिमाग में तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव के प्यार का ऐसा भूत सवार हुआ कि उसने अपने सिपाही पति के खिलाफ कोर्ट में तलाक का केस डाल दिया । रुचि जल्द से जल्द अपने सिपाही पति से तलाक और तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव से शादी करना चाहती थी ।
तहसीलदार ने ही करवाई थी DGP कार्यालय में नियुक्ति
लोगों में चर्चा है कि रुचि चौहान की DGP मुख्यालय में संबद्धता तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव ने ही करवाई थी क्योंकि बाराबंकी से प्रतापगढ मुलाकात के लिए आने-जाने में समय ज्यादा खराब होता था और बाराबंकी थाने से बार-बार छुट्टी ना मिलना भी बङी परेशानी थी । लखनऊ DGP मुख्यालय में संबद्धता से शनिवार और रविवार अवकाश के दिन मुलाकात आसानी से हो जाती थी । इससे दोनों में मुलाकात को लेकर समय की परेशानी काफी हद तक कम हो गई थी ।
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नामवर हुआ साजिश का शिकार
महिला सिपाही रुचि चौहान अपने लखनऊ से तबादले के बाद तहसीलदार द्वारा दिलवाए गये किराये के जिस सुलभ अपार्टमेंट मे रहती थी उसके असली मालिक का अब तक कोई पता नही चल सका है । महिला सिपाही रुचि चौहान हत्याकांड में शामिल तीनों आरोपियों में से एक आरोपी नामवर सिहं साजिश का शिकार हुआ था ।
नामवर सिहं के खिलाफ भी थी साजिश
रुचि चौहान द्वारा बार-बार शादी के दबाव से तंग-परेशान तहसीलदार दंपति ने रुचि चौहान को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया । प्लान के अनुसार नामवर सिहं को ही नशे की हालत में रुचि को मौत के घाट उतारना था । प्लानिंग के हिसाब से तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव मुलाकात के बहाने रुचि चौहान को फोन करके बुलाएंगे और नशे की हालत में उसकी हत्या करके लाश को नामवर सिहं ठिकाने लगाएगा ।
नामवर ने रुचि को पिलाया था नशीला जूस
तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव की प्लानिंग के हिसाब से अगर हत्या का पर्दाफाश होता है तो नामवर सिहं ही रुचि की हत्या का गुनहगार साबित होगा और खुद तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव इस मामले में साफ निकल जाएगा । अपने प्लान के अनुसार प्द्मेश श्रीवास्तव ने रुचि चौहान को 12 फरवरी की शाम को फोन करके PGI इलाके में मुलाकात के लिए बुलाया । नामवर की गाङी मे तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव और रुचि चौहान बैठे थे । PGI के एक जूस कॉर्नर से नामवर ने अनार के जूस में 10 एल्प्रेक्स की गोलियां मिलाकर रुचि को यह जूस पिलाया ।
तहसीलदार की पत्नी को ले डूबी नामवर की गलती
रुचि के बैहोश होने के बाद हत्या करके नामवर ने अपनी कार से लाश को नाले में फेंक तो दिया , लेकिन नामवर की एक छोटी सी गलती ने तहसीलदार श्रीवास्तव की पत्नी प्रगति श्रीवास्तव को भी इस हत्याकांड में सांझेदार बना दिया । घटनास्थल पर नामवर ने बङी चालाकी रुचि के फोन को बंद तो कर दिया परन्तु घटनास्थल से ही तहसीलदार की पत्नी प्रगति श्रीवास्तव को फोन करके भारी गलती कर दी ।
लखनऊ पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि रुचि के मोबाईल के कॉल रिकॉर्ड में आखिरी बार तहसीलदार प्द्मेश श्रीवास्तव से बात हुई है और जहां पर रुचि का मोबाईल बंद होने की अंतिम लोकेशन थी बिल्कुल वहीं से नामवर के मोबाईल से प्रगति श्रीवास्तव के फोन पर कॉल की गई है । पुलिस में अपनी जांच में तीनों कङियों को जोङा तो रुचि चौहान हत्याकांड की असलियत सामने आ गई और तीनों आरोपी पुलिस के शिकंजे में फंस गए ।
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