अटूट प्यार के प्रतीक ‘सस्सी-पुन्नू’ की अमर प्रेम कहानी, रेगिस्तान की तपिश में दी थी जान | Atoot pyar ke parteek sassi-punnu ki amar prem kahani , registaan ki tapis main di thi jaan
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अटूट प्यार के प्रतीक ‘सस्सी-पुन्नू’ की अमर प्रेम कहानी, रेगिस्तान की तपिश में दी थी जान | Atoot pyar ke parteek sassi-punnu ki amar prem kahani , registaan ki tapis main di thi jaan
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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है अमर और मेरे ब्लॉग “हिन्दी शायरी ऐक्सप्रैस 2022” में आपका स्वागत है । आशा है कि आप सभी अपने-अपने काम में व्यस्त होंगे । आज हम इतिहास के पन्नों की एक अमर सस्सी पुन्नू की प्रेम कहानी को जानेंगे कि कैसे सस्सी पुन्नू की प्रेम कहानी का जन्म हुआ और यह कहानी हमेशा के लिए सिर्फ कहानी ही बनकर क्यों अमर हो गई तो आइये जानते हैं सस्सी पुन्नू की प्रेम कहानी ।
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अक्सर लोग कहते है कि मोहब्बत करो तो उसे पा लो यही एक सच्ची मौहब्ब्त होती है , सच्ची मोहब्बत की ऐसी ही एक उदास कहानी है जो सिंध में एक लोक कथा की तरह ही सुनाई जाती है और यह कहानी है सस्सी और पुन्नू की ।
सस्सी का भंबौर के राजा के घर जन्म
बहुत साल पहले की बात है उस दौर में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और सिंध तक फैली हुई थी । उसी दौर का सिंध में एक इलाका था जिसका नाम था भंबौर । धनवान और खुशहाल भंबौर के राजा का खजाना भी भारी-भरकम था उसके पास धन-दौलत , इज्जत , प्रजा की दुआएं सब कुछ तो था लेकिन इस खजाने के लिए कोई वारिस नही था , बस यही भंबौर के राजा की सबसे बङी चिंता थी । राजा को अपने राज के वारिस के रुप में एक बेटी की इच्छा थी इस लिए राजा ने मंदिर, मस्जिद ,मजार सभी जगह चक्कर लगाए तो राजा की बेटी की इच्छा भी पूरी हो गई । राजा के महल ने एक नन्ही-सी गुङिया की किलकारियां गुंजने लगी जिससे राजा बहुत खुश था । हाल ही में जन्मी नन्ही सी बच्ची जल्द ही राजा और रानी समेत राज घराने में सभी की आंखों का तारा बन गई ।
ऋषि-मुनियों और पण्डितों की भविष्यवाणी
महल के सभी लोग राजा की इस नाजुक बच्ची को प्यार-दुलार करने लगे लेकिन एक दिन अचानक कुछ अजीब हुआ , जब पुरा राज घराना बच्ची की जन्म की खुशियों से गूंज रहा था तो और पुजा-पाठ के लिए पण्डित और ऋषि-मुनियों को बुलाया गया तो एक ऋषि ने बच्ची की कुंडली देखकर भविष्यवाणी की कि यह लङकी आगे चलकर राज घराने के कुल का नाम खराब करेगी तथा यह लङकी किसी ऐसे लङके से प्रेम करेगी जो राज घराने का दामाद बनने के काबिल नही होगा । ऋषि-मुनियों और पण्डितों के मुंह से अपनी जान से प्यारी बेटी के बुरे भविष्य की बात सुनकर अचानक राजा का दिमाग तकरा गया और राजा समेत पुरा राज घराना उदासी के भंवर में डूब गया । सभी के फूलों की तरह खिले चैहरे अचानक से मुरझा गये ।
सस्सी के भविष्य को लेकर राजा का निर्णय
कोई ऐरा-गैरा आदमी राज –घराने का दामाद बनकर राज घराने का नाम खराब करे सिंध के राजा को यह रतिभर भी मंजूर नही था । राजा ने अपनी बच्ची से बढकर अपने राज को जरुरी समझा और सभी को कहा कि “ मेरे लिए अपने परिवार से बङा राज धर्म है” तथा अपने मंत्रियों को तत्काल ही बच्ची को कंही दूर ले जाकर जान से मारने का हुक्म दे दिया । मंत्रियों ने राजा के हुक्म का पालन किया और उस प्यारी सी फूल जैसी बच्ची को राजमहल से बाहर लाया गया । किसी सुनसान जंगल में ले जा कर बच्ची का कत्ल करने लगे तो बच्ची की प्यारी सी मुस्कान, बच्ची को निर्दोष देखकर मंत्रियों का दिल पसीज गया और इस निर्दोष बच्ची का कत्ल करने के लिए सभी के हाथ कांपने लगे ।
सस्सी का सदूंक में धोबी को मिलना
मंत्रियों ने राजा को बिना बताये बच्ची को एक संदूक में रखा और पास की नदी में बहा दिया । उस नदी के किनारे एक धोबी अपने दिन का काम समाप्त करके घर जाने की तैयारी कर रहा था कि अचानक उसने नदी में तैरता एक संदूक देखा । नदी में तैरता संदूक देखकर धोबी नें नदी से संदूक को बाहर निकाला और खोलकर देखा तो संदूक में एक बच्ची और उसके साथ में कुछ सोना पाकर उसे अपनी किस्मत पर यकीन ही नही हो रहा था । बच्ची का चांद सा चैहरा देखकर धोबी ने फैसला किया कि इस बच्ची का पालन-पोषण वह खुद करेगा और बच्ची को अपने बच्चे की तरह ही पालेगा । धोबी ने घर जाकर अपनी औरत को बच्ची दिखाई और नदी में तैरते संदूक की कहानी सुनाई तो धोबी की पत्नी भी बहुत खुश हुई और उन्होनें बच्ची का चांद जैसा चैहरा देखकर बच्ची को एक नया नाम दे दिया सस्सी ।
भंबौर के राजा का धौबी के घर आगमन
सस्सी बङी हुई तो उसकी सुंदरता के चर्चें दूर-दूर तक फैलने लगे । बङे-बङे राजघरानों के राजकुमार सस्सी की सुंदरता के कायल हो रहे थे लेकिन कोई भी राजकुमार या बङे घर का युवक सस्सी को पंसद नही आता था । सस्सी की सुंदरता की खबर भंबौर के राजा को भी मिली कि फलां गांव में धोबी के घर एक बैहद ही सुंदर लङकी है । सस्सी की सुंदरता की खबर सुनकर भंबौर के राजा ने सोचा की इतनी सुंदर लङकी को तो महल की रानी होना चाहिए और भंबौर का राजा चल पङा धोबी से सस्सी का हाथ मांगने ।
सस्सी का महल में जाने से इंकार
सस्सी इस रिश्ते के लिए तैयार नही थी लेकिन राजा ने जब सस्सी को पहली बार देखा तो उनकी नजर सस्सी के हाथ पर बंधे एक धागे पर पङी । सस्सी के हाथ में बंधे धागे को देखकर राजा हैरान रह गया क्योंकी यह तो शाही धागा था जो उन्होने अपनी बेटी के हाथ में बांधा था । अब राजा को समझ आ चुका था कि सस्सी आखिर उन्ही की ही बेटी थी । राजा की आंखे शर्म से झुक गई और पश्चाताप के लिए राजा ने सस्सी को अपने साथ महल में चलने को कहा लेकिन राजा के साथ जाने से साफ इंकार कर दिया । सस्सी ने राजा से कहा कि “घर की ये कच्ची दीवारें ही मेरा घर है मुझे उस महल में अपनी जवानी नही बितानी जहां मेरा बचपन छीन लिया गया” । सस्सी की बात सुनकर राजा शर्मिंदा होकर चला गया ।
सस्सी का पुन्नू से प्रेम का इजहार
अब ये ऋषि-मुनियों और पण्डितों की भविष्यवाणी का फल था या कुछ और । धोबी का घर नदी के पास था और नदी की तट पर कुछ सौदागरों का आना-जाना लगा रहता था । सस्सी को अपने घर के पास ही नदी के तट पर आने वाले सौदागर युवक से प्रेम हो गया । सस्सी जिससे प्रेम करने लगी था उस युवक का नाम पुन्नू था जो अक्सर सौदागरों के साथ नदी की तट पर आता-जाता रहता था । सस्सी जब भी नाव के माल पर पुन्नू की तस्वीर देखती तो बस देखती ही रह जाती । एक रोज सस्सी ने एक सौदागर से कहा कि “सुनिये मुझे उनसे मिलना है आप कुछ भी करके मुझे उस युवक से मिलवा दीजिए” ।
पुन्नू का सस्सी से मिलने जाना
सस्सी की बात सुनकर सौदागर ने जाकर पुन्नु को सस्सी द्वारा कही गई बात बताई और कहा कि नदी के तट पर धोबी की एक बैहद ही सुंदर लङकी उसे मिलना चाहती है । पुन्नू ने सस्सी के बारे में पहले भी सुन रखा था तो उसने फैसला किया कि वह सस्सी से मिलने जरुर जाएगा लेकिन पुन्नू को मां को पुन्नू की इस बात से ऐतराज था कि उसका बेटा किसी धोबी की बेटी से मिलने जाए । पुन्नू ने अपनी मां के मूंह से यह बात सुनकर अकेले ही सब से छुपकर सस्सी से मिलने की योजना बनाई और उसी रात चुप-चाप घर से निकल गया ।
पुन्नू के भाईयों की साजिश
पुन्नू के सस्सी के गांव आने पर जब सस्सी और पुन्नू ने एक दुसरे को देखा तो बस देखते ही रह गये , पहली ही नजर में एक दुसरे से ऐसा प्रेम हो गया कि दोनों जन्म-जन्म के लिए एक-दुसरे के हो गये । दुसरी तरफ अपने बेटे को ना पाकर पुन्नू की मां तङप रही थी और अपने दुसरे बेटों से कहा कि जाऔ और पुन्नू को ढूंढकर जल्दी से वापिस लाओ । पुन्नू से मिलकर उसके भाईयों ने साथ चलने को कहा तो पुन्नू ने साफ इंकार कर दिया और अपने भाईयों की बदनियति जानकर सस्सी को भी उनकी आवभगत करने से रोक दिया लेकिन सस्सी ने पुन्नू के भाईयों की अच्छी खातिरदारी की और रातभर दावत चली । बहुत रात के दौरान सस्सी सोने के लिए चली गई तो पुन्नू के भाई पुन्नू को नशे की हालत में जबरदस्ती से उठाकर अपने गांव ले आये ।
पुन्नू और सस्सी की प्रेम कहानी का अंत
जब अगली सुबह सस्सी की नींद खुली तो भयानक सपने की शुरुआत हो चुकी थी । अब सस्सी को पुन्नू की भाईयों की साजिश का अंदाजा हुआ तो फूट-फुटकर रोने लगी और आस-पास के लोग सस्सी को बैवकूफ व बदचलन होने का ताना मारने लगे । अब सस्सी बिना कुछ सोचे-समझे और बिना कुछ खाये-पीये ही चल पङी अपने पुन्नू की तलाश में । तपती रेत और जलती धूप के कारण सस्सी के हाथों-पैरो में छाले हो चले थे , बार –बार गला भी सूख रहा था लेकिन सस्सी को किसी भी परेशानी की बिल्कुल फिक्र नही थी और वह पागलों की तरह लगातार तपते रेगिस्तान में आगे बढती ही जा रही थी । लगातार असहनीय गर्मी और तेज धूप के कारण सस्सी को दिखना भी कम हो गया था लेकिन वह तो हर हालत में पुन्नू को पा लेने के लिए पागल हो चुकी थी ।
सुबह पुन्नू को भी अपने भाईयों की साजिश के बारे में पता चला तो पुन्नू भी नंगे पैर अपनी सस्सी के लिए तपते रेगिस्तान में दौङ पङा । पुन्नू ने भी सस्सी को पाने के लिए परिवार ,रिश्तेदार, धन-दौलत सब कुछ छोङ दिया और निकल पङा खाली हाथ और नंगे पैर अपनी सस्सी को मिलने के लिए लेकिन दोनों के बीच में एक ही रेगिस्तान पङता था जो बहुत ही लम्बा और कठिनाईयों भरा रास्ता था । गर्मी में तेज धूप में भूखे और प्यासे ही चलने के कारण पुन्नू का भी बुरा हाल हो रहा था । बहुत ही दूर रेगिस्तान में आने के बाद एक चरवाहे ने पुन्नू को बताया की एक बहुत ही सुंदर लङकी की लाश कुछ ही दूरी पर रेत में दबी पङी है तो पुन्नू दौङा और आखिर सस्सी की लाश के पास पहुंच ही गया । अपनी जान से भी प्यारी सस्सी को मृत पाकर पुन्नू सदमे में आ गया और रोते-रोते अपनी जिन्दगी खत्म कर ली । उस गर्म रेत से लहराते रेगिस्तान में सस्सी और पुन्नू के दो बैजान जिस्म हाथ थामे वहीं पङे रहे । कुछ ही समय बाद गर्म रेत की चादर में दोनों जिस्मों को ढक लिया और सस्सी और पुन्नू की इस प्रेम कहानी इतिहास के पन्नो में हमेशा के लिए अमर हो गई ।
दोस्तों उम्मीद करता हूँ कि मेरे द्वारा लिखी गई सस्सी –पुन्नू की अमर प्रेम कहानी आपको पसंद आई होगी और आपको सस्सी –पुन्नू की प्रेम कहानी को लेकर सभी सवालों का उतर मिल गया होगा । अगर आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो कृपया ब्लॉग “ हिन्दी शायरी ऐक्सप्रैस ” को Follow करना ना भूलें ।
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