मासूम थे तभी तो तरसते रहे | masoom the tabhi to tarste rhe
हिन्दी शायरी
मासूम थे तभी तो तरसते रहे | masoom the tabhi to tarste rhe
“मासूम थे तभी तो तरसते रहे,
तेरे होठों की मुस्कान को,
वरना सपने दिखा कर अपना,
काम निकालना तो हमें भी आता था ”
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मासूम थे तभी तो तरसते रहे | masoom the tabhi to tarste rhe
Reviewed by Amar Tech News
on
मार्च 16, 2022
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Dear friend thanks for visit my blog
Good Luck.